6th Semester | Political Science Understanding Globalization | Unit 3 Part 3 | अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद | Chapter Explanation Notes in Hindi | DU SOL NCWEB IGONU

DU SOL NCWEB 6th Semester

 

Political Science Understanding Globalization

 

Unit 3 Part 3

 

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद

 


 

आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द टेररे और डिटेरा से हुई है। लैटिन टेररे शब्द का अर्थ है घबराना जबकि डिटेरा का अर्थ है भयभीत करना। आतंकवाद की अभी भी कोई सार्वभौमिक परिभाषा उपलब्ध नहीं है।

अंतराष्ट्रीय आतंकवाद के संबंध में वैश्विक सहमति नहीं है। जब से अलकायदा द्वारा 9/11 का हमला किया गया तब से आतंकवाद की बड़े स्तर पर कड़ी निंदा की जा रही है।

 

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की उत्पत्ति: 

आतंकवाद मानव इतिहास का एक अभिन्न अंग रहा है। डेविड रिपोर्ट के द्वारा 18 वी शताब्दी में यह दावा किया गया था कि केवल धर्म हीं आतंकवाद के लिए एकमात्र स्वीकृति प्रदान की है। प्राचीन समय में मुस्लिम, यहूदी कट्टरपंथी और हिंदू ठग जैसे समूह को धार्मिक आतंकी समूह के रूप में जाना जाता था। इन लोगों का मुख्य कार्य हत्या करना पर लोगों पर हमला करना।

 

शीत युद्ध के दौरान इस्लामिक संगठनों के बीच धार्मिक आतंकवाद उभार हुआ था। पिछले दशक में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक और रूप वैश्विक जिहाद के रूप में उभर के सामने आया जिसने आतंकवाद का खतरा काफी हद तक बढ़ा दिया।

 

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की प्रकृति: 

आतंकवाद एक वैश्विक घटना है जिसमें लोगों के बीच भय उत्पन्न करने के लिए हिंसा का सहारा लिया जाता है तथा उनमें भय उत्पन्न करके अपने काम करवाए जाते हैं। वर्तमान में बहुत सारे आतंकवादी संगठन कार्य कर रहे हैं तथा यह संगठन एक दूसरे से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी जुड़े हुए हैं।

 

यह बताना बहुत मुश्किल है कि लोग आतंकी क्यों बनते हैं। आतंकी समूह द्वारा आतंकवादी को स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है।

 

निम्न कार्य को आतंकवादी गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है:

  • यदि वह कार्य इंसान है या शक्ति के प्रयोग से संबंधित है।
  • यदि व्यक्ति और उनकी संपत्ति के विरुद्ध हिंसा और शक्ति का प्रयोग किया जाए।
  • यदि सरकार और समाज पर दबाव बढ़ाने का प्रयास किया जाए।
  • यदि इन कार्यों से राजनीतिक विचारधारा चमक और धार्मिक उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जाए तो।

 

9/11 के हमले के बाद बुश प्रशासन का मानना था कि आतंक के सभी गतिविधियों को खत्म करने के लिए अमेरिकी लोगों ने भारी संख्या में उनके प्रशासन का समर्थन किया था।

 

9/11 के बाद संपूर्ण विश्व में वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध करने के लिए एकजुटता और सामान्य धारणा की भावना पैदा हुई इसी कारण से विश्व स्तर पर राष्ट्रीय के बीच एकता देखने को मिल रही है।

 

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के प्रकार:

राज्य प्रायोजित आतंकवाद- राज्य प्रायोजित आतंकवाद से अभिप्राय है कि जब सरकार द्वारा ऐसे अभिकर्ता या संगठन का समर्थन किया जाए जो हिंसात्मक कार्य एवं आतंकी गतिविधियों में लगा हो तो राज्य प्रायोजित आतंकवाद कहलाता है। इस प्रकार के आतंकवाद का सीधा संबंध राज्य की सरकार से होता है तथा यह उस देश की अर्थव्यवस्था प्रशासन व्यवस्था को बड़े स्तर पर प्रभावित करता है।

 

दक्षिणपंथी और वामपंथी आतंकवाद: इस प्रकार का आतंकवाद तब देखने को मिलता है जब राजनीतिक विचारधाराओं में अंतर होता है। 1789 में फ्रांसीसी राज्यसभा में दक्षिणपंथी को सर्वप्रथम ख्याति प्राप्त हुई थी। वर्तमान में दक्षिणपंथी वामपंथी उग्रवाद की कोई एक परिभाषा उपलब्ध नहीं है।

 

धार्मिक आतंकवाद: धार्मिक आतंकवाद एक प्रकार का राजनीतिक हिंसा है। जो की पूर्णता है इस विश्वास पर आधारित है कि उन्हें किसी दूसरी दुनिया की शक्ति से आतंकी हिंसा करने का आदेश प्राप्त है ताकि उनके विश्वास की विजय हो सके। धर्म के आधार पर आतंक फैलाना धार्मिक आतंकवाद के अंतर्गत आता है। धार्मिक आतंकवादी यह मानते हैं कि लोगों को मारकर हिंसा फैला कर उनके जीवन के बाद उनको जन्नत प्राप्त होगी इस प्रकार की अवधारणा धर्मे का आतंकवादी रखते हैं। वैश्विक स्तर पर धार्मिक आतंकवाद बहुत ज्यादा बढ़ता जा रहा है।

 

वैश्विक आतंकवाद: वैश्विक आतंकवाद से तात्पर्य है कि आतंकवाद अब राष्ट्रीय की सीमाओं के पार जा चुका है तथा वह हर देश में फैल चुका है आतंकवाद की कोई सीमा नहीं है। जिस प्रकार तकनीक और प्रौद्योगिकी का विकास हो रहा है आतंकवाद का भी डर बढ़ता जा रहा है| 9/11 के हमले के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई ऐसी व्यवस्था की स्थापना की है जिसमें मानव विध्वंस के हथियारों के प्रसार को रोकने और वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध पर बल देने के कार्य किए हैं।

 

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के कारण: 

 

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को घरेलू राजनीतिक अस्थिरता के कारण गृह युद्ध और अंतर राज्य युद्ध प्रारंभ हो सकता है। राज्य के विकास ना होने के कारण तथा राजनीतिक और आर्थिक विकास ना हो पाने से घरेलू अस्थिरता के कारण बन सकते हैं जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की उत्पत्ति हो सकती है।

 

असफल राज्य: असफल राज्य में हमेशा संघर्ष राजनीतिक स्थिरता मानवाधिकार उल्लंघन तख्तापलट जैसी घटनाएं देखने को मिलती है जिसके कारण वह आतंकवाद को नियंत्रित करने में असफल रहते हैं। 9/11 की घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य देशों की सरकार का मानना है कि उनके द्वारा ही अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में संकट उत्पन्न हो सकता है।

 

विचारधारा और मनोवैज्ञानिक: अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण कारण विचारधारा का भी है क्योंकि अगर दो संगठनों की विचारधारा मेल नहीं खाते तो उनके बीच में संघर्ष हो सकता है तथा यह संघर्ष कुछ समय बाद हिंसक होगा और आतंकवाद का रूप ले लेगा।


उग्रवादी इस्लामिक संगठनों के प्रचार और मध्य एशिया में अमेरिकी हस्तक्षेप जैसे वैश्विक घटनाओं का व्यक्तियों पर काफी प्रभाव पड़ता है भले ही उनका आतंकवाद संगठन से कोई संबंध है इसके बावजूद भी उनके देश में आतंकवादी हमले होते हैं। जर्मन राष्ट्र के अल्बेनिया निवासी ने 2 मार्च 2011 को फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे के बाहर अमेरिकी वायुसेना के दो कर्मचारियों को गोली मार दी थी और दो अन्य लोगों को घायल कर दिया।

 

वैश्विक आतंकवाद के सामना करने के तरीके:

आतंकवाद का सामना करने के लिए कुछ तरीके निम्नलिखित-

 

1.    अमेरिका पर 9/11 के हमले के प्रतिक्रिया के रूप में पहली बार नाटो ने अपने सामूहिक सुरक्षा के धारा (अनुच्छेद 5) को लागू किया था।

2.    सुरक्षा परिषद ने 2001 में प्रस्ताव 1373 को पारित किया था जिस का अधिकतर मानव अधिकार को प्रभावित करता था

3.    आम सभा ने अपने प्रस्ताव 60/288 के द्वारा संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति को पारित किया है जिससे कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय सभी के लिए मानव अधिकारों की सुरक्षा के सभी तरीकों का सम्मान कर सके। वहीं दूसरी तरफ आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में कानून का शासन बुनियादी आधार पर हो।

4.    सितंबर 2011 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 29 राज्यों के एक समूह और यूरोपीय संघ ने एक साथ मिलकर वैश्विक आतंकवाद निरोध मंच को स्थापित किया था। इसका मुख्य उद्देश्य आतंकवाद को रोकने के लिए वाद विवाद समीक्षा सिफारिश का आदान प्रदान करना था कि संसाधनों की पहचान करना और तकनीकी सहायता के लिए संसाधनों को उपलब्ध कराना था।

 

5.    सितंबर 2013 में मौद्रिक विज्ञापन को अपनाया गया। इसमें आक्रमण के समय और आपराधिक कार्यवाही के दौरान आतंकवाद के शिकार लोगों को प्रभावी सहायता देने की गारंटी दी गई ताकि आतंकवाद के शिकार हुए लोगों को बेहतर मदद दी जा सके।

6.    आम सभा ने 2006 में संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकी निरोध रणनीति को पारित किया था। जिसमें कि उन महत्वपूर्ण मुद्दों का पता लगाना का प्रयास किया था जो कि आतंकवाद के जन्म देने के लिए उत्तरदाई थे।

 

प्रत्येक देश को अपनी क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए जिससे कि आतंकवाद का बड़े स्तर पर सामना किया जा सके। ऐसे क्षेत्र जहां पर आतंकवाद की अधिक संभावना हो वहां पर सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाने की आवश्यकता है। सेना मैं अधिक से अधिक स्नाइपर को भर्ती करना चाहिए जिससे कि आतंकवाद का सामना किया जा सके।

 

गैर राज्य अभिकर्ता और राज्य आतंकवाद: गैर राज्य अभिकर्ता और राज्य आतंकवाद से तात्पर्य है कि आतंकवाद एक राज्य के अंदर उत्पन्न होता है तथा वहीं से अपना विकास करता है। राज्य के अंदर ही आतंकवाद को प्रशिक्षण दिया जाता है प्रोत्साहन राज्य के द्वारा प्राप्त होता है।

कई बार राज्य आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए प्रत्यक्ष तौर पर शामिल नहीं होता परंतु फिर भी राज्य का आतंकवाद में एक बड़ा हाथ होता है।

अफगानिस्तान में तालिबान राज्य प्रायोजित आतंकवाद का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। राज्य की सीमा के अंतर्गत तालिबान को सभी तरह के आतंकवाद गतिविधियों का समर्थन दिया गया है। वही ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के दौरान राज्य का गैर सहयोगी रवैया राज्य द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को ही दर्शाता है (राज्य के गैर सहयोगी रवैया से तात्पर्य है कि राज्य ने ओसामा बिन लादेन को पकड़ने में किसी भी प्रकार की कोशिश नहीं की तथा उसामा बिन लादेन के केस को ढील दी।)।

 

9/11 के हमले के बाद अमेरिका ने ईरान, क्यूबा, सूडान, और सीरिया को राज्य प्रायोजित आतंकवाद के तौर पर देखा उसका कारण अमेरिका ने इन देशों पर आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध लगा दिए।

 

गैर राज्य अभिकर्ता: गैर राज्य अभिकर्ता की कोई परिभाषा उपलब्ध नहीं है परंतु यह कहा जा सकता है कि राज्य की शासन व्यवस्था के अलावा भी कई संगठन राज्य के लिए कार्य कर रहे हैं वह गैर राज्य अभिकर्ता कहलाते हैं और विराम समकालीन अंतरराष्ट्रीय विश्व व्यवस्था में कानून पालन के लिए देशों ने कुछ गैर सरकारी संगठनों का निर्माण किया है जिनमें एमनेस्टी इंटरनेशनल, ग्रीन पीस, सीमा के परे चिकित्सक, किड्स केयर और हुमन राइट्स वॉच जैसे संगठन शामिल है। वही अपराध और आतंकवादी समूह में माफिया, कोलंबियन ड्रग उत्पादक, रिपब्लिकन आर्मी, हमास, हिजबुल्ला, अलकायदा को शामिल किया जा सकता है। जिन्हें की गैर कानूनी संगठन गैर राज्य अभिकर्ता माना जाता है।


संयुक्त राष्ट्र संघ और आतंकवाद को रोकने के उपाय : 

 

8 सितंबर 2006 को संयुक्त राष्ट्र संघ के आम सभा में संयुक्त राष्ट्रीय वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति को लागू किया गया। यह पहली बार था जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्यवाही की हो तथा आतंकवाद निरोधक रणनीति को अपनाया हो।

 

2005 में आतंकवाद विरोधी क्रियान्वयन टास्क फोर्स पर स्थापित किया गया।

 

आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा 16 सार्वभौमिक कानून (13 कानून और 3 संशोधन) पारित किया गया।

 

9/11 के बाद का विकास:

 

9/11 के हमले ने पूरे विश्व के इतिहास का रुख मोड़ दिया। अमेरिका के इतिहास में 9/11 एक भयंकर घटना थी क्योंकि इस घटना के कारण भारी संख्या में लोगों की जान गई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 9/11 के आतंकी हमले को नए युद्ध के तौर पर परिभाषित किया।

 

9/11 के हमले की समझ:

 

अमेरिका के न्यूयॉर्क और पेंटागन टावर पर 11 सितंबर 2001 को आतंकवादी हमला हुआ था जिसे 9/11 के आतंकवादी हमले के तौर पर जाना जाता है। यह आत्मघाती हमला ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व में इस्लामी आतंकी समूह अलकायदा द्वारा किया गया था। बिन लादेन सऊदी अरब का एक नागरिक था। 

 

इस्लामी आतंकवाद समूह अलकायदा के अपहरण और आत्मघाती हमले से न्यूयॉर्क में 2750 और पेंटागन में 184 और पेंसिलवेनिया में लगभग 40 लोग मारे गए। जबकि एक अपहरण के विमान को यात्रियों द्वारा नियंत्रण लेते दौरान विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।


इसके अलावा आत्मघाती हमले में 19 आतंकी मारे गए। आत्मघाती हमले के बढ़ने के कारण चरम कट्टरपंथी थे। आतंक के इस हम लेने पूरे विश्व में आतंकवाद के प्रति घृणा उत्पन्न कर दी। 

 

इस हमले के बाद बुश प्रशासन ने कहा कि उनका उद्देश्य अफगानिस्तान से आतंकवाद को खत्म करना है। अमेरिका ने इराक ईरान और उत्तरी कोरिया को सभ्य विश्व का शत्रु माना। 

 

तालिबान, अफ़गानिस्तान और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध के दौरान अमेरिका ने चीन और रूस के साथ अपने संबंधों में सुधार किया। प्रशासन ने इन खतरों के संदर्भ में अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। 

 

24 मई 2002 को मॉस्को ने अमेरिका और रूस के बीच सामरिक शास्त्र संधि और समझौता हुआ। 28 मई 2002 को नाटो और इस संबंध में रूस घोषणा पत्र के द्वारा एक नई नाटो एशियाई परिषद को स्थापित किया गया।

 

अलकायदा के विचारों से प्रभावित होकर कुछ लोगों ने 2002 में बाली और 2005 में लेबनान में बम विस्फोट किया था।

 

इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिहादी आतंकवाद को आतंकी समूह के रूप में देखा गया।

 

एब्टाबाद मैं ओसामा बिन लादेन से प्राप्त दस्तावेजों से उसके बचाव की जानकारी मिलती है। पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के द्वारा इसके गतिविधियों के प्रसार किया जा रहा है।

 


2003 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के नेतृत्व में एक नए आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध का प्रारंभ करते हुए इराक पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण के पीछे अमेरिका का तर्क था, कि इराक व्यापक विध्वंस के हथियार का उत्पादन कर रहा है। जिसके कारण उन्हें इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को उनके पद से हटाना था। 2014 में इराक में अमेरिकी सेना को लेकर काफी विरोध हुआ जिसके बाद अमेरिकी सेना ने इराक कुछ छोड़ दिया तथा वापसी अमेरिका आ गई।

 

राष्ट्रपति ओबामा प्रशासन के अंतर्गत एक कमांडो छापेमारी के दौरान एब्टाबाद मैं ओसामा बिल लादेन को मार दिया गया था।

 

9/11 के बाद उभरते संकट

9/11 के बाद जिहादी आतंकवाद में वृद्धि हुई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह भी पता चल गया कि एक ही स्थान पर बैठकर रिमोट के द्वारा भी हमला करवाया जा सकता है। 9/11 हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का पूरे विश्व में प्रसार हुआ।

 

वर्तमान समय में अपहरण के बजाय अपनाते हमलावरों और बेहतर विस्फोटक को यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। साइबरस्पेस और सेटेलाइट फोन, जीपीएस, रात में कार्य करने वाले उपग्रह, ऑनलाइन प्रचार-प्रसार, बेहतर हथियारों के रूप में उभरे हैं।

 

सोशल मीडिया के प्रचार प्रसार से आतंकवाद को भी काफी हद तक सहायता प्राप्त हुई है आतंकी संगठनों के बीच वार्तालाप के लिए ब्लैकबेरी मैसेंजर व्हाट्सएप आदि एक विश्वसनीय मंच के तौर पर उभरे हैं।

 

2007 में तहरीक ए पाकिस्तान द्वारा इस्लामाबाद के लाल मस्जिद और श्रीलंका के लिट्टे द्वारा सपोर्ट करने के लिए मानव बम का सहारा लिया गया।

 

9/11 के बाद आतंकवाद के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया

 

9/11 के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ बहुत सारी गतिविधियां हुई है

 

ऑपरेशन एंडोरिंग फ्रीडम: 9/11 के हमले के परिणाम स्वरूप अमेरिका ने अफगानिस्तान में एक सैन्य ऑपरेशन चलाया था कि अफगानिस्तान से तालिबान सरकार को बेदखल करने के साथ-साथ अलकायदा के सदस्यों को भी खत्म कर सके। ऑपरेशन एंडोरिंग फ्रीडम जैसे अमेरिकी के गुप्त अभियान और पाकिस्तान में ड्रोन हमले से अलकायदा को गंभीर नुकसान हुआ

 

आतंकवाद विरोधी कानून: 9/11 के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद को लेकर बहुत सारे कानून बनाए गए जिससे कि आतंकवाद को समाप्त करने में सहायता मिले। सुरक्षा परिषद द्वारा प्रस्ताव 1373 पारित किया गया।

 

वैश्विक आतंक विरोधी: 9/11 के बाद इंटरपोल के अलावा संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी समिति, सीटीसी कार्यपालक निदेशक, 1540 समितियां अल कायदा और तालिबान के खिलाफ आतंकवाद विरोधी क्रियान्वयन टास्क फोर्स जैसे वैश्विक संस्थाओं का निर्माण किया गया था कि आतंकवाद को समाप्त किया जा सके।

 

परमाणु प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कार्यवाही: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी द्वारा परमाणु अप्रसार की  देखरेख की जाती है। 

 

साइबरस्पेस पर नियंत्रण: आतंकवादी अपने बीच बातचीत करने के लिए साइबरस्पेस का प्रयोग कर रहे हैं। एक अंतरराष्ट्रीय कानून है जो कि राज्य को कानूनी तौर से सक्षम बनाता है ताकि वह आतंकवादी परियोजनाओं के लिए प्रयोग किए जाने वाले सोशल मीडिया सहित संचार चैनलों की पहचान करके उन्हें बाधित कर सके।


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