Introduction of International Relation (अंतरराष्ट्रीय संबंधों का परिचय) Unit - 1 DU SOL NCWEB | All Semester and All Years

  INTRODUCTION OF INTERNATIONAL RELATION

4th-semester political science

अंतरराष्ट्रीय संबंधों का परिचय

Unit - 1





🔴 अंतरराष्ट्रीय संबंध क्या है?


वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय संबंध एक प्रमुख शिक्षा का क्षेत्र बन गया है जिसमें हम सरकारी गैर सरकारी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों के संबंधों के बारे में विचार विमर्श करते हैं तथा उनके बारे में अध्ययन करते हैं।


अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन के अंतर्गत हम कई प्रकार की चीजों के बारे में बातें करते हैं जो निम्नलिखित है :


मानव अधिकार ,वैश्विक गरीबी ,पर्यावरण से जुड़े मुद्दे , अर्थशास्त्र, वैश्वीकरण सुरक्षा तथा राजनीतिक वातावरण जैसे मुद्दों को हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अंतर्गत सम्मिलित करते हैं।


अंतरराष्ट्रीय संबंधों में हम अलग-अलग देशों के अंतर्गत होने वाली गतिविधियों का भी अध्ययन करते हैं।


अंतरराष्ट्रीय संबंध वर्तमान में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है जिसके कुछ उद्देश्य है वह उद्देश्य निम्नलिखित हैं।

  • युद्धों की उत्पत्ति को रोकना तथा शांति का रखरखाव

  • वैश्विक प्रणाली के अंदर शक्ति की प्रकृति का अध्ययन

  • राज्य और गैर राज्य अभिनेताओं के बदलते चरित्र का अध्ययन जो अंतर्राष्ट्रीय निर्णय लेते हैं।


अंतरराष्ट्रीय संबंधों के दो प्रमुख सिद्धांत है यथार्थवाद और उदारवाद:


यथार्थवाद :- यथार्थवाद की धारणा है कि राज्य अन्य राज्यों की सापेक्ष अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए काम करता है (अर्थात राज्य अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करेगा तथा अन्य प्रकार की व्यवस्थाओं को भी अच्छा करेगा जिससे कि वह अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक बेहतर हो।)


यथार्थवाद के सिद्धांत में बताया गया है कि पूरे विश्व में केवल एकमात्र महाशक्ति होगी इसलिए एक सैन्य शक्ति से संपन्न राज्य अपने से कमजोर राज्य को युद्ध में मात देगा। यथार्थवाद का एक प्रमुख सिद्धांत है कि स्वयं संरक्षण अर्थात प्रत्येक राज्य को अपनी सुरक्षा के लिए शक्तियों की खोज करनी चाहिए तथा शक्तियों को और बढ़ाना चाहिए।



उदारवाद :- उदारवादी विचारधारा है जिसके अंतर्गत मनुष्य को विवेकशील प्राणीउदारवादी विचारधारा है जिसके अंतर्गत मनुष्य को विवेकशील प्राणी मानते हुए सामाजिक संस्थाओं को मनुष्य की सूझबूझ और सामूहिक प्रयासों का परिणाम समझा जाता है उदारवाद की उत्पत्ति 17c शताब्दी में हुई थी।


          उदारवाद बनाम यथार्थवाद


उदारवाद क्या है?


उदारवाद एक ऐसी विचारधारा है जो वर्तमान समय में पूरे विश्व में विस्तृत रूप से फैली हुई है।

उदारवादी विचारधारा का संबंध पूर्ण रूप से स्वतंत्रता पर आधारित है क्योंकि उदारवाद शब्द का जन्म अंग्रेजी भाषा के Liberty से हुआ है जिसका अर्थ है स्वतंत्र।



साधारण शब्दों में उदारवाद एक ऐसा दर्शन या विचाधारा है जो सत्ता के केन्द्रीयकरण का प्रतिनिधित्व करने वाली किसी भी व्यवस्था का विरोध तथा व्यक्ति की स्वतन्त्रता का जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समर्थन करती है। अपने संकीर्ण अर्थ में उदारवाद अर्थशास्त्र तथा राजनीतिशास्त्र जैसे विषयों तक ही सरोकार रखता है जहां पर वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन व वितरण और शासकों के चुनने व हटाने की वकालत करता है। 


उदारवाद की परिभाषा


  1. डेरिक हीटर के अनुसार-’’स्वतन्त्रता उदारवाद का सार है। स्वतन्त्रता का विचार इतना महत्वपूर्ण है कि उदारवाद की परिभाषा सामाजिक रूप में स्वतन्त्रता का संगठन करने और इसके निहितार्थों का अनुसरण करने के प्रभाव के रूप में की जा सकती है।’’


  1. हेराल्ट लॉस्की के अनुसार-’’उदारवाद कुछ सिद्धान्तों का समूह मात्र नहीं बल्कि दिमाग में रहने वाली एक आदत अर्थात् चित्त प्रकृति है।’’


  1. डॉ0 आशीर्वादम् के अनुसार-’’उदारवाद एक क्रमबद्ध विचारधारा न होकर किसी निर्दिष्ट युग में कुछ देशों में व्यक्त की गई विविधतापूर्ण तथा परस्पर विरोधी चिन्तन- धाराओं से युक्त ऐतिहासिक प्रवृत्ति मात्र है।’’


  1. इनसाइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका के अनुसार-’’दर्शन या विचारधारा के रूप में, उदारवाद की परिभाषा प्रशासन की रीति और नीति के रूप में समाज के संगठनकारी सिद्धान्त और व्यक्ति व समुदाय के लिए जीवन-पद्धति में स्वतन्त्रता के प्रति प्रतिबद्ध विचार के रूप में की जा सकती है।’’ (Source : Scoutbuzz.com)


उदारवाद आर्थिक क्षेत्र में भी जनता और अर्थव्यवस्था का समर्थक है उदारवादी विचारधारा चाहती है कि अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह स्वतंत्र हो तथा इस पर किसी भी प्रकार का दबाव ना हो जैसे कि राज्य का प्रभाव या फिर किसी व्यक्ति का प्रतिनिधित्व ना हो उदारवादी विचारधारा स्वतंत्र अर्थव्यवस्था का समर्थन करती है।



उदारवादी विचारधारा की विशेषताएं :- 


  1. स्वतंत्रता का समर्थन :- उदारवादी विचारधारा हमेशा से ही स्वतंत्रता का समर्थन करती है इस विचारधारा में प्रत्येक व्यक्ति को सभी प्रकार की स्वतंत्रता प्राप्त होती हैं तथा उस व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का राज्य तथा किसी अन्य व्यक्ति का दबाव नहीं होता वह व्यक्ति स्वतंत्र रूप से अपना जीवन जीने में सामर्थ है। उदारवादी विचारधारा का मानना है कि स्वतंत्रता मानव का जन्म सिद्ध अधिकार है।प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त होना चाहिए और यह अधिकार उस व्यक्ति से कोई नहीं छीन सकता।

  2. प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन :- उदारवादी विचारधारा मानव के प्राकृतिक अधिकारों जैसे स्वतंत्रता संपत्ति जीवन जीने का अधिकार का समर्थन करती है तथा इन अधिकारों के प्रति कोई भी विरोधी कार्य का पूरी तरह विरोध करती है। उदारवादी विचारधारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मानव के प्राकृतिक अधिकारों के लिए कार्य करती है तथा इस विचारधारा में प्रत्येक व्यक्ति को सभी प्रकार की स्वतंत्रता प्राप्त हो इसके लिए भी कार्य करती है।


  1. इतिहास और पुरानी परंपरा का विरोध :- उदारवादी विचारधारा इतिहास के उन सभी नियमों का विरोध करती है जिसमें व्यक्ति की स्वतंत्रता को हानि पहुंचती है तथा वह पुराने समय से चली आ रही परंपराओं का भी पूरी तरह विरोध करती है जो यह दर्शाती है कि व्यक्तियों को स्वतंत्रता नहीं है कुछ कार्य करने की और यह भी दर्शाती है कि केवल कुछ व्यक्तियों को ही स्वतंत्रता प्राप्त है।


  1. धर्मनिरपेक्षता का समर्थन :- उदारवादी विचारधारा की यह विशेषता काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि उदारवादी विचारधारा हमेशा से ही धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करती है उदारवादी विचारधारा का मानना है कि सभी धर्म एक समान है तथा सभी धर्मों के सभी अनुयायियों को पूरे स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए उनके धर्म को अपनाने की तथा उस धर्म में पूजा पाठ करने की।


-> यथार्थवाद क्या है?


यथार्थवाद अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है तथा यथार्थवाद का क्षेत्र बहुत ही विशाल है।


यथार्थवाद = यथार्थ + वाद

यथार्थ-> असलियत ,वास्तविकता, अस्तित्व


यथार्थवाद की कुछ परिभाषाएं : 

ब्राउन के अनुसार-’’यथार्थवाद का मखु य विचार यह है कि सब भौतिक वस्तएु तथा बाह्य जगत के पदार्थ वास्तविक हैं और उनका अस्तित्व देखने वाले से पश्थक है। यदि उनको देखने वाले व्यक्ति न हों, तो भी उनका अस्तित्व होगा और वे वास्तविक होंगे।’’


रास महोदय के अनुसार - ‘‘यथार्थवाद यह मानता है कि जो कछु हम प्रत्यक्ष में अनुभव करते हैं, उनके पीछे तथा उनसे मिलता जुलता वस्तुओं का एक यथार्थ जगत है।’’


यथार्थवाद का अर्थ :- यथार्थवाद की विचारधारा एक ऐसी विचारधारा है जिसके अनुसार वह केवल उन्हीं चीजों को सत्य मानते हैं जिनको वह देख सकते हैं जैसे कि भौतिक वस्तु है। उनका मानना है कि वही चीजें वास्तविक हैं जिनको हम देख सकते हैं या फिर छू सकते हैं तथा अन्य सभी चीजें उनके लिए असत्य हैं। 


अरस्तु ने अपनी पुस्तक ‘फिजिक्स’ में लिखा है - ‘‘इस प्रकार की बहुत सी वस्तुयें हैं जिन्हें हमसे संकेत किया है। जैसे कि पशु, पौघे, हवा, अग्नि और जल और जो अधिक स्पष्ट ढंग से प्रदर्शित करने का प्रयत्न करेगा तो उसे मालूम होगा कि अन्य कम प्रकट वस्तुओं की अपेक्षा उसे ज्ञात होगा कि उसमें विभेद करना कठिन नहीं है कि किनका अस्तित्व है किनका नहीं।’’


एक प्रकार से यथार्थवाद एक वैज्ञानिक विचारधारा है जो केवल उन चीजों पर विश्वास करती है जो उनके सामने है अन्यथा अन्य वह चीज है जिनके बारे में कोई नहीं जानता या फिर उसे किसी ने भी नहीं देखा है वह चीज या वस्तु का अस्तित्व ही नहीं है।


Download Complete Notes:


DU SOL 4th Semester Political Science DSE अंतरराष्ट्रीय संबंधों का परिचय Unit 1 to 3 Complete Chapters Explain in Hindi Notes PDF available.Click Here



( Wikipedia and INTERNATIONAL STUDIES की सहायता से )


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