THE LEARNERS COMMUNITY AND TECHNOLOGY
DU SOL NCWEB 2nd Year
4th Semester History
History of India C. 1700 – 1950
Unit 1 - 18वीं सदी में भारतीय समाज
18 वीं सदी में भारतीय समाज अर्थव्यवस्था राजनीति और संस्कृति
मुगल साम्राज्य का पतन :
मुगल साम्राज्य एकता तथा सुधरता औरंगजेब के लंबे तथा मजबूत शासन के दौरान ही विखंडित होने लगी थी| हालांकि कुछ तो विकट स्थितियों के बावजूद मुगल प्रशासन काफी सक्षम था तथा औरंगजेब की मृत्यु के समय 1707 ईस्वी तक मुगल सेना भी काफी मजबूत स्थिति में थी| इस वर्ष को आमतौर पर एक महान मुगल तथा लघु मुगलों के काल में अंतर स्पष्ट करने के लिए किया जाता है| औरंगजेब की मृत्यु के बाद सकता कमजोर हो गई तथा अपने विशाल प्रशासन के हर हिस्से पर नियंत्रण स्थापित करने की शक्ति उसके अंदर नहीं थी|
क्षेत्रीय सुधारों ने अपनी सत्ता का दावा करना प्रारंभ कर दिया| इसका नतीजा यह निकला कि कई मुगल सुधारों ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया| कुछ नए क्षेत्रीय समूह भी उभरे तथा संगठित हुए तथा इन्हीं घटनाओं के बीच राजनीतिक शक्ति के रूप में बनकर उभरे|
1707 से लेकर पानीपत का तृतीय युद्ध 1761 ईसवी जिसमें (अहमदशाह अब्दाली ने मराठा शासक को पराजित किया था) तक की अवधि क्षेत्रीय शक्तियों के पुण्य उदय की साक्षी बनी रही| जिसमें राजनीतिक तथा आर्थिक विकेंद्रीकरण व्यवस्था को जन्म दिया|
इसी समय तमाम राजनीतिक तथा सैन्य उठा पाठक के बावजूद स्थानीय तथा माल हस्तशिल्प तथा अनाजों के क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के राजनीतिक व सैन्य संबंधों के गौर किए बिना आर्थिक परस्पर निर्भरता के मजबूत रिश्तो का निर्माण किया गया|
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण:
भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना 1526 ई. में बाबर ने की थी। उसके पश्चात् बाबर के वंशजों ने अपनी वीरता, साहस, योग्यता एवं कूटनीति के द्वारा मुगल साम्राज्य का विस्तार किया तथा उसे संगठित भी किया।
अकबर, जहाँगीर व शाहजहाँ के शासनकाल में देश का सर्वतोन्मुखी विकास हुआ था, किन्तु 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् यह साम्राज्य विघटित होता गया और शीघ्र ही उसका पतन हो गया।
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण-
- औरंगजेब की शासन नीति -
मुगल साम्राज्य के पतन के लिए औरंगजेब के व्यक्तिगत चरित्र एवं शासन नीति को मुख्य रूप से उत्तरदायी माना जा सकता है। औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था।
उसने अपने शासनकाल में शिया मुसलमानों, हिन्दुओं, सिक्खों तथा अन्य धर्मावलम्बियों पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए। उसने हिन्दुओं के मन्दिरों को तुड़वाकर मस्जिदों का निर्माण करवाया।
राजपूत राजा जसवन्त सिंह के पुत्रों को मुसलमान बनाने का प्रयास किया। उसकी कट्टर धार्मिक नीति के कारण भारत की हिन्दू जनता, विशेष रूप से जाट, मराठे व राजपूत औरंगजेब के विरुद्ध हो गए और उन्होंने मुगल शासन को समाप्त करने का संकल्प लेकर विद्रोह करना प्रारम्भ कर दिया।
इन विद्रोहों ने सुदृढ़ व संगठित मुगल शासन की नींव को हिला दिया।
- औरंगजेब की दक्षिण नीति- औरंगजेब की दक्षिण नीति भी दिशाहीन एवं सिद्धान्तहीन थी। उसने बीजापुर और गोलकुण्डा के शिया राज्यों की शक्ति को नष्ट कर दिया।
इसके फलस्वरूप दक्षिण में मराठों को अपना प्रभाव बढ़ाने एवं संगठित होने का अवसर प्राप्त हो गया। यदि औरंगजेब ने बीजापुर और गोलकुण्डा के शासकों के साथ सहयोग की नीति अपनाई होती, तो दक्षिण में मराठों की शक्ति को नष्ट करने में ये राज्य औरंगजेब की सहायता अवश्य करते।
इस प्रकार औरंगजेब की शासन नीति का मुगल साम्राज्य की शक्ति व संगठन पर विपरीत प्रभाव पड़ा, जिसके कारण मुगल साम्राज्य दिन-प्रतिदिन पतन के मार्ग पर अग्रसर होता गया।
PDF NOTES of 4th Semester History भारत का इतिहास 1700-1950 Unit 1 to 8 Notes in Hindi: Click HERE
Watch Our This Notes Explanation Video on YouTube
All Notes are Made after Reading You Study Martial and Searching on the Internet!!!