THE LEARNERS COMMUNITY
5th Semester History (Issues in 20th C World History I)
Unit – 2(a)
यूरोप और विश्व में प्रथम विश्व युद्ध का दौर और परिणाम
यूरोप में लड़ाई: 20वीं सदी की शुरुआत में, कुछ लोगों ने एक वैश्विक युद्ध की आशंका जताई थी, लेकिन जिसे महान युद्ध के रूप में जाना जाता है, वह 28 जून, 1914 को ऑस्ट्रियाई आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफी की हत्या के साथ शुरू हुआ, जब वे यात्रा कर रहे थे।
ऑस्ट्रिया ने अपने सहयोगी जर्मनी के साथ मिलकर और सर्बिया पर युद्ध की घोषणा करके हत्याओं का जवाब दिया। संघर्ष में जल्द ही रूस, फ्रांस और बेल्जियम शामिल हो गए। एक पूर्ण पैमाने पर विश्व युद्ध के डर से, जो अन्य देशों के लिए अपने समुद्री मार्गों को खतरे में डालेगा, ग्रेट ब्रिटेन जर्मनी और ऑस्ट्रिया के खिलाफ लड़ाई में शामिल हो गया।
प्रत्येक देश का मानना था कि लड़ाई केवल कुछ महीनों तक चलेगी। राष्ट्रों को या तो केंद्रीय शक्तियों या सहयोगियों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। बुल्गारिया और तुर्क साम्राज्य जैसे केंद्रीय शक्तियों में शामिल होने वाले देशों ने ऑस्ट्रिया-हंगरी और जर्मनी का समर्थन किया। मित्र राष्ट्र रूस, फ्रांस, बेल्जियम और ग्रेट ब्रिटेन थे, लेकिन बाद में वे जापान, रोमानिया, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका से जुड़ गए।
1. संयुक्त राज्य अमेरिका ने जर्मनी पर युद्ध घोषित: 6 अप्रैल 1917 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने जर्मनी पर युद्ध घोषित कर दिया| 7 मई 1915 को एक जर्मन पनडुब्बी ने ब्रितानी समुद्री पर्यटन के जहाज को आयरलैंड के तट पर डूबा दिया| इसमें कुल 1200 मृतक व्यक्ति थे जिसमें से 128 अमेरिकी नागरिक थे|
अमेरिका जर्मनी के द्वारा घातक गैसों का प्रयोग युद्ध में हथियार के रूप में करने से जुड़ा हुआ था| परंतु अमेरिका की यह मांग थी कि जर्मनी अपनी पनडुब्बियों का परित्याग कर दें तथा जर्मनी ने यह बात मान ली और अगले 2 वर्षों के लिए अमेरिका ने जर्मनी को बिना कोई हानि पहुंचाए व्यापार करने दिया|
परंतु जर्मनी ने 1 फरवरी 1917 को यह घोषणा की कि अब वह अपनी पनडुब्बियों का प्रयोग युद्ध में करेगा जिसके कारण अमेरिका भी 6 अप्रैल 1917 को मित्र राष्ट्रों के साथ प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी के खिलाफ खड़ा हो गया|
2. रूस का युद्ध से हटना: 1917 की दूसरी उल्लेखनीय घटना रूसी क्रांति थी| रूसी क्रांतिकारियों ने प्रारंभ से ही यह युद्ध का विरोध किया और लेनिन के नेतृत्व के आधीन उन्होंने रूसी राष्ट्र को उखाड़ फेंकने और सत्ता पर अधिकार के लिए इस युद्ध को क्रांतिकारी युद्ध के रूप में परिवर्तित करने का निश्चय किया| इस युद्ध में रूस सेना को बहुत ज्यादा हानि पहुंची लगभग 6,00,000 रूसी सैनिक मारे गए|
रूस ने युद्ध से हट जाने का निर्णय 3 मार्च 1918 को जर्मनी के साथ ब्रेस्ट लिटोवस्क की संधि पर हस्ताक्षर कर दिया|
युद्ध का अंत: युद्ध को समाप्ति की ओर ले जाने के
लिए कई कई कोशिशें की गई| 8 जनवरी 1918 को अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन
ने स्थाई शांति के लिए एक खाका पेश किया| उन्हें 14 बिंदु उनकी इस समझ पर आधारित थे कि
कैसे एक विशाल युद्ध प्रारंभ हुआ और कैसे भविष्य के युद्ध को टाला जा सकता है|
विल्सन ने समुद्रों की स्वतंत्रता, व्यापार की स्वतंत्रता और औपनिवेशिक
शत्रुता के निपटारे का भी आरंभ किया| रूस में हस्तक्षेप का सिद्धांत, बेल्जियम को पूर्णता प्रभुसत्ता और
फ्रांस को ऐल्सैस लोरेन की वापसी, ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के अंतर्गत विभिन्न
राष्ट्रीय समूह की स्वय सत्ता तथा रोमानिया, साइबेरिया, मैटोनीग्रो और पोलैंड की स्वतंत्रता
आदि अन्य बिंदुओं में सम्मिलित थे|
29 सितंबर 1918 को बुल्गारिया ने समर्पण आरंभ किया| अक्टूबर के समाप्ति तक ऑटोमन साम्राज्य
का अस्तित्व समाप्त हो गया| 12 नवंबर को हैब्सबर्ग के सम्राट ने सिंहासन का
परित्याग कर दिया| ऑस्ट्रो-हंगरी साम्राज्य का अधिकांश प्रजा चेक, पोल ,यूगोसाल्वा, हंगरी पहले ही अपनी स्वतंत्रता की
घोषणा कर चुके थे|
युद्ध के निष्कर्ष: प्रथम विश्वयुद्ध 4 साल 3 महीने तक लड़ा गया| 4 अगस्त 1914 को आरंभ होकर 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ| इसमें 60 प्रभुसत्ता संपन्न राज्य को सम्मिलित
किया 4 राज्यों
जर्मनी हैब्सबर्ग तुर्की और रूसी साम्राज्य को बिहार सरकार 7 नए राष्ट्रीय का जन्म दिया, एक करोड़ लड़ाकू की जान गई और 3500 करोड़ पाउंड इसकी लागत रही|
युद्ध के परिणाम
-> आर्थिक परिणाम: प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले
देशों का बहुत अधिक धन खर्च हुआ। जर्मनी और ग्रेट ब्रिटेन ने अपनी अर्थव्यवस्था से
प्राप्त धन का लगभग 60% हिस्सा युद्ध में खर्च किया। देशों को करों को
बढ़ाना पड़ा और अपने नागरिकों से धन भी उधार लेना पड़ा। उन्होंने हथियार खरीदने तथा
युद्ध के लिये आवश्यक अन्य चीजों हेतु भी अपार धन व्यय किया। इस स्थिति ने युद्ध
के बाद मुद्रास्फीति को जन्म दिया।
-> राजनीतिक परिणाम: प्रथम विश्व युद्ध ने चार राजतंत्रों
को समाप्त कर दिया। रूस के सीज़र निकोलस द्वितीय, जर्मनी के कैसर विल्हेम, ऑस्ट्रिया के सम्राट चार्ल्स और ओटोमन
साम्राज्य के सुल्तान को पद छोड़ना पड़ा।
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प्रथम विश्व युद्ध के बाद विश्व मानचित्र में परिवर्तन आया, साम्राज्यों के विघटन के साथ ही पोलैंड
,चेकोस्लोवाकिया, युगोस्लाविया जैसे नए राष्ट्रों का उदय
हुआ।
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ऑस्ट्रिया, जर्मनी, फ्राँस और रूस की सीमाएँ बदल गईं।
बाल्टिक साम्राज्य, रूसी साम्राज्य से स्वतंत्र कर दिये गए।
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एशियाई और अफ्रीकी उपनिवेशों पर मित्र राष्ट्रों का अधिकार होने से
वहाँ भी परिस्थिति बदली। इसी प्रकार जापान को भी अनेक नए क्षेत्र
प्राप्त हुए। इराक को ब्रिटिश एवं सीरिया को फ्राँसीसी संरक्षण में रख दिया गया।
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फिलिस्तीन, इंग्लैंड को दे दिया गया।
-> सामाजिक परिणाम: विश्व युद्ध ने समाज को पूरी तरह से
बदल दिया। जन्म दर में गिरावट आई क्योंकि लाखों युवा मारे गए (आठ मिलियन लोग मारे
गए), लाखों
घायल हो गए तथा कई अन्य विधवा और अनाथ हो गए। नागरिकों ने अपनी ज़मीन खो दी और अन्य
देशों की ओर प्रवास किया।
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महिलाओं की भूमिका में भी परिवर्तन आ गया। उन्होंने कारखानों और
दफ्तरों में पुरुषों का स्थान लिया।
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उन्होंने कारखानों और कार्यालयों में पुरुषों की जगह लेने में एक
प्रमुख भूमिका निभाई। कई देशों ने युद्ध समाप्त होने के बाद महिलाओं को अधिक
अधिकार दिये जिसमें वोट देने का अधिकार भी शामिल था।
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उच्च वर्गों ने समाज में अपनी अग्रणी भूमिका खो दी। युवा, मध्यम और निम्न वर्ग के पुरुषों तथा
महिलाओं ने युद्ध के बाद अपने देश के पुनर्गठन की मांग की।
शांति समझौता( पेरिस शांति समझौता) : 1918 में महा युद्ध समाप्त हो, गया किंतु
अनेक प्रकार की जटिल समस्याएं जैसे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याएं अपने
पीछे छोड़ दिया| यूरोप के अनेक शासन जैसे जर्मनी, ऑस्ट्रिया, रूस और तुर्की के
साम्राज्य का अंत हो चुका था| यूरोप का आर्थिक जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था,
असंख्य लोग भूख के कारण और बीमारी के कारण मरने लगे थे| इस युद्ध के बाद शांति स्थापना करना एक
बहुत बड़ी चुनौती थी विश्व के लिए|
पेरिस शांति समझौता: शांति समझौते के लिए पेरिस को चुना गया,
राष्ट्रपति विल्सन सम्मेलन का केंद्र उचित समझा क्योंकि वह अमेरिका की सेना मौजूद थी | पेरिस में सभी विजेता राष्ट्रीय के
प्रतिनिधि एकत्रित हुए| रूस और पराजित राष्ट्रीय को सम्मेलन में
आमंत्रित नहीं किया गया| अमेरिका से स्वयं राष्ट्रपति विल्सन इंग्लैंड
के प्रधानमंत्री लॉयड जॉर्ज इटली के ऑरलैंडो तथा जापान के
प्रधानमंत्री भी उसमें शामिल हुए थे|
पेरिस शांति समझौते की समस्याएं:
1. गुप्त संधियां- पेरिस शांति समझौते का
उद्देश्य केवल शांति की स्थापना करना नही बल्कि शांति को भविष्य के लिए बनाए रखना
था| किंतु
शांति स्थापना के मार्ग में एक बड़ी बाधा गुप्त संधियां थी | जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मित्र
राष्ट्रों के बीच की गई थी| इन संधियों के तहत युद्ध के बाद हारे हुए
राष्ट्र को बांटने का विचार किया गया था|
2. विल्सन ने अपने 14 सिद्धांतों को आधार मानकर की गई
संधियों को भंग करने की बात कही| युद्ध के दौरान अनेक गुप्त संधियों पर
हस्ताक्षर किए गए थे और इन संधियों के विषय में राष्ट्रपति विल्सन को कठिन
परिस्थितियों का सामना करना पड़ा|
3. प्रथम विश्व युद्ध के प्रारंभ में होने
से पूर्व यूरोप में बहुत सारी ऐसी समस्याएं थी जिनके कारण विविध राज्यों में
परस्पर असंतोष में विरोध बना रहता था|
शांति सम्मेलन के प्रमुख आधार: शांति सम्मेलन में भाग लेने वाले
प्रतिनिधियों के पास कोई ठोस कार्यक्रम या पूर्व निर्धारित ऐसा कोई सिद्धांत नहीं
था जो कि सर्वमान्य हो| अर्थात सम्मेलन में भाग लेने वाले किसी भी
सदस्य के पास शांति स्थापना के लिए पहले से कोई अनुभव नहीं था और ना ही कोई
सिद्धांत का जो कि पूरे विश्व मैं माननीय हो| रूस की क्रांति से अमेरिका के युद्ध
में भाग लेने मित्र राष्ट्रों के उद्देश में परिवर्तन आना स्वभाविक था| विल्सन और जर्मनी के राज नायकों ने इस
बात पर बल दिया कि उन्होंने विल्सन के सिद्धांत के आधार पर युद्ध बंद किया है|
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Source for Making Notes
https://www.drishtiias.com/hindi/paper1/world-war-i-2
https://history.delaware.gov/world-war-i/
https://historyguruji.com/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B8-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BF-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%A8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%B5%E0%A4%B0/