DU SOL 5th Semester Hindi GE Chapter 3 अनुवाद के उपकरण - कोश ग्रंथ | 5th Sem Exam Study Notes

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5th Semester Hindi GE

Chapter 3  अनुवाद के उपकरण - कोश ग्रंथ

 

अनुवाद के उपकरणः अनुवाद के उपकरणों में अनुवाद के वे सभी साधन आ जाते हैं जिनकी आवश्यकता अनुवाद में पड़ती हैं। इन उपकरणों में विविध प्रकार के कोष हैं और सहायक सामग्री भी हैं। अनुवाद के प्रमुख उपकरणों में सबसे महत्त्वपूर्ण शब्दकोश है। शब्दकोश के बिना अनुवादक अनवाद कर ही नहीं सकता। दूसरे शब्दों में वह इसके बिना अधूरा है। अनुवाद के प्रमुख साधन होते हुए भी कोशों के प्रयोग और कोश संबंधी जानकारी अनुवादक के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। प्रायः देखा गया है कि अनुवादक अनुवाद कोशों व कोश संबंधी प्रयोग में उदासीन रवैया अपनाते हैं। 



कोश’ शब्द का प्रयोग लम्बे अरसे से होता रहा है, भारतीय ज्ञान परम्परा में भी कोई नया शब्द नहीं है। इसके लिए संस्कृत साहित्य में ‘कोश’ और ‘कोष’ दो वर्तनियाँ प्रचलित थीं, जिनका प्रयोग कटोरा, पीपा, बाल्टी, बादल, म्यान, संदूक, ढक्कन, खोल आदि के अर्थ में होता था। कहने का तात्पर्य यह की कोश उन वस्तुओं के लिए प्रयुक्त हुआ, जिनमें कुछ संग्रह किया जा सके। है।

संस्कृत में शब्दकोष के लिए निघण्ट, नाममाला, माला शब्दार्णव, अभिधान आदि शब्द प्रचलित रहे हैं।

 

हिंदी भाषा में भी ‘कोश’ और ‘कोष’ शब्द ‘शब्दकोष’ तथा ‘खजाना’ के अर्थ में प्रयुक्त होते थे। परंतु 20वीं शताब्दी के मध्य तक आतेआते ‘कोश’ शब्द का प्रयोग ‘शब्दकोश’ के लिए और ‘कोष’ का प्रयोग ‘खजाना’ के लिए रूढ़ हो गया है। अमरसिंह के प्रसिद्ध ‘अमरकोष’ का मूलनाम ‘नाम लिगानुशासन’ था जिसे बहुत बाद में ‘अमरकोष’ कहा जाने लगा जब ‘कोश’ का प्रयोग आज के अर्थ में रूढ़ हो गया।

 

अंग्रेजी भाषा में कोश के लिए ‘डिक्शनरी’ शब्द प्रयुक्त होता है, जिसकी उत्पत्ति लैटिन का deccre शब्द से हुआ है। लैटिन में इसका अर्थ होता है- कहना या बोलना। इस प्रकार अंग्रेजी में कहे या बोले गए शब्दों के संग्रह को डिक्शनरी कहा गया।

 

एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार

“‘कोश’ एक ऐसी पुस्तक है, जिसमें किसी भाषा के शब्द और उनके अर्थ या तो उसी भाषा में या किसी दूसरी भाषा में, सामान्यतया वर्णानुक्रम से दिए रहते हैं। प्रायः शब्दों के उच्चारण, उनकी व्युत्पत्ति और प्रयोग का विवरण भी उसमें रहता है।

 

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार

कोश वह पुस्तक है, जिसमें सामान्यतया वर्णानुक्रम से किसी भाषा के शब्दों अथवा विशेष या फिर लेखक आदि के संबंध में अध्ययन होता है।

 

हिंदी शब्द सागर के अनुसार

कोश वह ग्रंथ है, जिसमें अर्थ एवं पर्याय सहित शब्द इकट्ठे किए गए हों।

 

शब्दकोश के प्रकारों

 

कोष वर्गीकरण के आधार- कोश वर्गीकरण के मुख्य आधार निम्न हैं- 1. उद्देश्य, 2. भाषा, 3. प्रविष्टि, 4. काल, 5. अर्थ, 6 प्रविष्टि क्रम, 7. विशिष्ट दृष्टिकोण उद्देश्य की दृष्टि से कोश में अथ, प्रतिशब्द पर्याय, विलोम, परिचय, विवेचन, व्युत्पत्ति और उच्चारण आदि का संकलन होना चाहिए। इस दृष्टि से शब्दकोश में अर्थ, पारिभाषिक कोश में प्रतिशब्द, पर्याय और विलोम कोश में क्रमशः पर्याय और विलोम, व्युत्पत्ति और उच्चारणकोश में व्युत्पत्ति और उच्चारण विश्वकोश में प्रायः परिचय तथा विषय कोशों जैसे भाषा विज्ञान कोश में विवेचन और परिचय आते हैं।

 

एक कोश में एकाधिक उद्देश्यों का भी समावेश हो सकता है, जैसे- 'हिंदी शब्द सागर' में बाबू श्यामसुन्दर दास ने अर्थ, व्युत्पत्ति और परिचय तीनों को समाविष्ट किया है। भाषा के आधार पर एकभाषिक, द्विभाषिक या बहुभाषिक कोश हो सकते है। भाषा के आधार पर शब्द, मुहावरा, लोकोक्ति आदि कोश भेद हो सकते हैं। काल की दृष्टि से एककालिक (जैसे बंगला का चलतिका कोश) ऐतिहासिक कोश, हो सकते हैं।

 

कोश के भेद या वर्गीकरण-

कोश का वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है-

 

1. विश्वकोशः इसमें विश्व की महत्त्वपूर्ण जानकारी होती हैं। इसकी सहायता से हमें अनेक प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं, जैसे इनसाइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका आदि

 

2. बहुभाषा कोश: इस प्रकार के कोश में एक शब्द के अर्थ या प्रयोग अनेक भाषाओं में दिए होते हैं। सबसे बड़ा बहुभाषा कोश भारत सरकार की मदद से प्रकाशित हुआ है जिसमें मान्यताप्राप्त भारतीय भाषाओं के शब्द हैं।

 

3. द्विभाषिक कोश: शब्दकोशों में यह सबसे अधिक प्रचलित है। इसमें दो भाषाओं में शब्दों के अर्थ दिए होते हैं अर्थात् किसी एक भाषा के शब्दों का अर्थ किसी दूसरी भाषा में दिए जाते हैं। जैसे  हिंदी- अंग्रेज़ी कोश, अंग्रेजी-हिंदी कोश, हिंदी-उर्दू कोश, जापानी-हिंदी कोश, हिंदी-रूसी कोश आदि।

 

4. पारिभाषिक कोश: इस प्रकार के कोशों में किसी विषय से संबंधित शब्दों की विस्तृत जानकारी दी जाती है। तकनीकी प्रकृति के शब्दों को समझने के लिए इस तरह के कोशों का प्रयोग किया जाता है। जैसे भारतीय बैंक संघ की ओर से प्रकाशित बैंकिंग शब्दावली । मनोविज्ञान परिभाषा कोश ।

 

5. पारिभाषिक शब्दावली: ये शब्दकोश विशिष्ट विषय से संबंधित शब्दों के अर्थ, पर्याय, दूसरी भाषा से बताने हेतु तैयार किए जाते हैं। इनका उपयोग सीमित होता है। इनका उपयोग किसी विषय से संबंधित विशिष्ट व्यक्ति ही करते हैं। जैसे-बैंकिंग अनुवाद के लिए बैंकिंग शब्दावली का उपयोग किया जाता है। रेलवे के लिए अलग शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। अतः उसके लिए अलग शब्दाकोश तैयार किया जाता है।

 

6. विशिष्ट कोश: इन कोशों के अतिरिक्त भी कुछ ऐसे कोश हैं जो अलग-अलग उद्देश्य की पूर्ति करते हैं। इन कोशों का उपयोग बहुत सीमित मात्रा में किया जाता है। इन कोशों में प्रमुख निम्न हैं-

 

(क) धार्मिक कोश: इस प्रकार के कोशों में धार्मिक, कर्मकाण्ड और पुराण वेदांत जैसे विशिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। इनमें शब्दों के अतिरिक्त स्थानों, व्यक्तियों के संबंध में जानकारी दी जाती है। हिंदी में ऐसे कोश कई प्रतिष्ठित प्रकाशकों ने प्रकाशित किए हैं।

(ख) पर्याय कोश: इस प्रकार के शब्दकोशों में एक ही शब्द के पर्यायवाची शब्द दिए जाते हैं। हिंदी में कई शब्दकोश हैं।

 

(ग) थिसॉरस / समान्तर कोश: यह पर्याय कोश का विस्तृत रूप है। इसमें केवल पर्यायवाची शब्द ही नहीं दिए जाते अपितु शब्द से मिलते-जुलते अर्थ भी दिए जाते हैं। समतुल्य शब्द दिए जाते हैं और वैकल्पिक शब्द दिए जाते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि एक ही शब्द की अनेक छायाएँ इस तरह के शब्दकोशों में दी जाती हैं।

(घ) लोकोक्ति कोश: इस प्रकार के शब्दकोशों में लोकोक्तियों और मुहावरों के अर्थ दिए जाते है। भारत में अनेक क्षेत्रीय भाषाओं के भी मुहावरे लोकोक्ति कोश प्रकाशित किए। जा चुके हैं।

 

(ड़) उपनाम या बोली कोश: विभिन्न प्रदेशों में बोली जाने वाली उपभाषाओं व बोलियों के अपने-अपने शब्दकोश हैं। ऐसे कोश राज्य साहित्य अकादमी की ओर से प्रकाशित किए जाते हैं। हिंदी में लगभग हर बोली के शब्दकोश मौजूद हैं। जैसे शब्द विचार कोश। आचार्य रामचंद्र शुक्ल का 'शब्दार्थ विचार कोश' इस तरह के कोश का उदाहरण है। ऐसे शब्दकोश शब्द का सूक्ष्म अर्थ समझने में उपयोगी होते हैं।

 

शब्दकोशों की उपयोगिता

शब्दकोश की उपयोगिता उनके उद्देश्य एवं शब्दकोश मे दी गयी सूचना पर निर्भर करती है। पाठक विभिन्न प्रकार के शब्दकोशों का उपयोग करते हैं। क्योंकि भाषा समझने में जो भी कठिनाई सामने आती है उनका निराकरण शिक्षकों के अलावा शब्दकोश से ही होता है। इसकी उपयोगिता को निम्नलिखित बिंदुओं में बांटा जा सकता है :-
शब्दों का अर्थ, उच्चारण, वर्तनी को जानने के लिए किया जाता है।
इनमें शब्द का व्युत्पत्ति शब्द का प्रयोग आदि की सूचना मिलती है।
कई शब्दकोश संकेताक्षर, बाट, माप तोल, विभिन्न देशों की मुद्रा, प्रमुख व्यक्तियों एवं स्थानों के बारे में सूचना देते हैं।
सामान्य शब्दकोश में शब्दों का इतिहास का पता चलता है, तथा यह भी पता चलता है कब इसके अर्थ का प्रयोग में परिवर्तन हुआ।
शब्दकोष के निरंतर उपयोग से पाठक अपनी शब्दावली को बढ़ा सकता है, तथा अपनी भाषा में सुधार कर सकता है।
विशिष्ट शब्दकोश के निरंतर उपयोग से शब्दों के पर्यायवाची समानार्थी एवं विलोम शब्दों को खोजने, तथा अर्थ जानने तथा उनका सही प्रयोग एवं उच्चारण जाना जाता है।
कहावतों, मुहावरों का अर्थ भी शब्दकोशों से सहजता से पता लगाया जाता है।
विदेशी भाषा के शब्दों का अर्थ जिन का समावेश अन्य भाषा में हो गया है उनका पता भी शब्दकोशों से लग जाता है।
द्विभाषीय या बहुभाषी शब्दकोश की आवश्यकता अनुवाद का कार्य करने में पढ़ती है।

 


 

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