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DU SOL NCWEB 4th Semester History
History of India C. 1700 – 1950
Unit – 8 स्वतंत्र भारत: संविधान का निर्माण, संविधान का विकास और मुख्य प्रावधान, संविधान की बुनियादी विशेषताएं
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 भारतीय स्वतंत्रता
अधिनियम 15 जुलाई 1947 को हाउस ऑफ कॉमंस द्वारा और अगले दिन हाउस ऑफ लॉर्ड्स द्वारा पारित किया गया था और 18 जुलाई 1947 को शाही सहमति प्राप्त की थी इस अधिनियम में 20 धाराएं और 3 अनुसूचियां हैं।
इस अधिनियम में दो स्वतंत्र अधिराज्य स्थापित करने का प्रावधान था। जिन्हें मूल रूप से भारत और पाकिस्तान के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक अधिराज्य ने इंग्लैंड द्वारा एक गवर्नर जनरल नियुक्त होना था। प्रत्येक अधिराज्य के विधानमंडल को कानून बनाने की पूरी शक्ति दी गई थी और अब से ब्रिटिश सांसद का कोई भी अधिनियम किसी भी अधिराज्य तक विस्तृत नहीं था पूर्णविराम तथा भारतीय राज्यों पर भी अंग्रेजों का राज भी समाप्त हो गया था।
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। भारत का कार्यकारी संविधान भारतीय संविधान सभा द्वारा दिसंबर 1948 से दिसंबर 1949 की अवधि के दौरान तैयार किया गया था।
26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाया गया था और 26 जनवरी 1950 से इसे लागू किया गया।
स्वतंत्र भारत का संविधान:
भारत का संविधान भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी गणराज्य घोषित करता है। यह न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के लोकतांत्रिक दर्शन पर आधारित है।
संविधान की मुख्य विशेषताएं:
· दुनिया में सबसे लंबा और सबसे व्यापक संविधान: दुनिया का सबसे लंबा और सबसे विस्तृत संविधान भारत का है। यह एक 22 भागों में विभाजित और 19 अनुसूचियों का एक दस्तावेज है। यह एक संघीय संविधान है जो आमतौर पर एकात्मक राज्य के संविधान से लंबा होता है। केंद्र सरकार राज्य सरकार और संघ राज्य संबंधों के अध्ययन में अकेले 240 से अधिक लेख शामिल है।
· एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य: संविधान की प्रस्तावना नए भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में परिभाषित करती है। भारत का यह विवरण काफी महत्वपूर्ण है। संप्रभु शब्द इस बात पर जोर देता है कि भारत अब ब्रिटिश साम्राज्य की निर्भरता नहीं है और ना ही उसकी राजनीतिक स्थिति अधिराज्य की है जो वह 15 अगस्त से थी। अर्थात भारत का संविधान यह बताता है कि अब भारत किसी भी प्रकार से ब्रिटिश सत्ता के अधीन नहीं है तथा भारत स्वतंत्र रूप से अब कार्य कर सकता है। एक संप्रभु शक्ति होने के नाते भारत बाहरी नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त है।
· भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य: भारतीय संविधान की योजना और प्रावधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाना चाहते हैं। भारत की प्रस्तावना भारत के लोगों के सभी नागरिकों को सुरक्षित करने के गंभीर संकल्प को दर्ज करती है।
o सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
o विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास और पूजा की स्वतंत्रता
o स्थिति और अवसर की समानता
एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में भारत ना तो किसी धर्म को मानता है और ना ही किसी के साथ भेदभाव करता है। यह किसी भी धर्म या पंथ का प्रचार के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता। अपनी नीतियों के निर्माण में भी यह किसी धार्मिक सिद्धांत द्वारा निर्देशित नहीं है।
· सरकार का संसदीय रूप: भारतीय संविधान सरकार के संसदीय रूप का प्रावधान करता है और इस प्रणाली को केंद्र और राज्य दोनों में अपनाया गया है। भारतीय संघ के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल नाम मात्र की शक्ति के साथ संवैधानिक प्रमुख हैं। जैसे कि सरकार के संसदीय रूप में आवश्यक है। संविधान निर्माताओं ने केंद्र और राज्य में सरकारी तंत्र स्थापित करने में ब्रिटिश मॉडल का पालन किया है।
· संघीय सूचना लेकिन भावना में एकात्मक: भारत को राज्यों के संघ के रूप में वर्णित किया गया है फिर भी उसका संविधान अनिवार्य रूप से संज्ञा रूप में है। इसमें संघीय संविधान की कई विशेषताएं हैं सबसे पहले संविधान देश का सर्वोच्च कानून है। दूसरा भारतीय संविधान संघ और राज्य के बीच में सत्ता का व्यापक विभाजन करता है। अनुच्छेद 245 और 246 शक्तियों के वितरण के सिद्धांत को निर्धारित करता है और संविधान की सातवीं अनुसूची में सूचियां शामिल है संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची।
· आंशिक रूप से कठोर और आंशिक रूप से लचीला: भारतीय संविधान आंशिक रूप से कठोर और आंशिक रूप से लचीला है। यह इतना कठोर है कि इसके कुछ प्रावधानों में संशोधन का तरीका आसान नहीं है। एकतरफा कार्यवाही से ना तो केंद्र सरकार और ना ही राज्य में सरकार उन्हें बदल सकती है। इसके अलावा इन प्रावधानों को संविधान में निर्धारित तरीकों से ही संशोधित किया जा सकता है। और यह तरीका सामान्य कानूनों के लिए तैयार किए गए तरीकों से अलग है। किन अनुच्छेदों पर संशोधन करना कठिन है वह निम्नलिखित है
o राष्ट्रपति के चुनाव
o संघ और राज्यों के कार्यकारी शक्ति की सीमा
o सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय की शक्तियां और अधिकारिता
o शक्तियों का वितरण
o सातवीं अनुसूची में से कोई भी सूची
o संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व और
o अनुच्छेद 368 के प्रावधान
कठोरता के बावजूद भारतीय संविधान का चरित्र लचीला है। जिसके साथ इसके अधिकांश प्रावधानों में संविधान संशोधन किया जा सकता है। उनके मामलों में संसद से बहुमत से संविधान को बदला जा सकता है पूरी राम राज्य द्वारा किसी अनूप समर्थन की कोई आवश्यकता नहीं है।
· भारतीय संविधान एक सामाजिक दस्तावेज: भारतीय संविधान सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण एक सामाजिक दस्तावेज है इसके अधिकांश प्रावधान आधुनिक आधार (कानून, व्यक्तिगत योग्यता, और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा) भारतीय सामाजिक संरचना का पुनर्निर्माण करके एक सामाजिक क्रांति लाने का प्रयास करते हैं।
· सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार: भारतीय संविधान में व्यस्क मताधिकार के सिद्धांत को अपनाया है। 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक पुरुष या महिला को विभिन्न प्रतिनिधि निकायों जैसे लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव में मतदान करने का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा भारत के नागरिक अब व्यक्तिगत रूप से वोट करते हैं ना कि हिंदू मुस्लिम और इसाई के रूप में।
भारत जैसे पिछड़े देश में एक ही झटके में और बिना किसी योग्यता के व्यस्क मताधिकार की शुरुआत वास्तव में एक बहुत ही साहसिक कदम था।
· कई स्रोतों से तैयार किया गया एक अनूठा दस्तावेज: भारतीय संविधान निर्मित करने से पूर्व संविधान सभा ने विभिन्न देशों के संविधानओं का विस्तार पूर्वक अध्ययन किया था साथ ही साथ भारतीय स्वतंत्रता के पूर्व बने अधिनियम राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रस्तावों को भी अध्ययन किया था। संपूर्ण चीजों के अध्ययन के पश्चात जहां से भी जो वस्तु उपयुक्त लगी उसे ले लिया गया तथा भारतीय संविधान में उसे सम्मिलित कर लिया गया। भारतीय संविधान के विभिन्न प्रमुख उपबंध हो निम्नलिखित है:
o ब्रिटेन: संसदीय प्रणाली, एकल नागरिकता, विधि निर्माण निर्माण प्रक्रिया, मंत्रिमंडल का लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व, विदाई राष्ट्रपति की संवैधानिक स्थिति, विधि का शासन, संसदीय विशेषाधिकार, लोक सेवकों की पदावधि, संसद और विधानमंडल प्रक्रिया।
o कनाडा: संघात्मक व्यवस्था, अपशिष्ट शक्ति, सबल केंद्रीकरण की व्यवस्था, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति।
o अमेरिका: मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन, उच्चतम न्यायालय, संविधान की सर्वोच्चता, राष्ट्रपति पर महाभियोग प्रक्रिया, उपराष्ट्रपति का पद, स्वतंत्र निष्पक्ष न्यायपालिका, वित्तीय आपातकाल, उपराष्ट्रपति एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की विधि।
o पूर्व सोवियत संघ: मौलिक कर्तव्य, प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का आदर्श।
o आयरलैंड: राज्य के नीति निर्देशक तत्व, राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति, राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत होना।
o जापान: अनुच्छेद का प्रस्तावना।
o ऑस्ट्रेलिया: प्रस्तावना समवर्ती सूची, शक्ति विभाजन, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक, प्रस्तावना की भाषा।
o दक्षिण अफ्रीका: संविधान संशोधन प्रक्रिया, राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन।
o फ्रांस: गणतंत्रतात्मक ढांचा, स्वतंत्रता, समानता बंधुता के आदर्श।
o जर्मनी: आपातकालीन उपबंध।