DU SOL NCWEB 6th Semester
Political Science
Understanding Globalization
Unit 1 A
वैश्वीकरण अर्थ और वाद-विवाद
20 वीं सदी में 90 के दशक से लेकर 21वीं सदी के दूसरे दशक तक के मध्य में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करने वाले प्रमुख विचार रहा है।
वैश्वीकरण का अर्थ और परिभाषा-
वैश्वीकरण शब्द अंग्रेजी भाषा के ग्लोबलाइजेशन शब्द का हिंदी रूपांतरण है| वैश्वीकरण भूमंडलीकरण भी कहा जाता है। वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए प्रयुक्त हो सकता है| जिसके द्वारा पूरे विश्व में लोग मिलकर समाज में आते हैं।
यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है| वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के संदर्भ में किया जाता है| अर्थात व्यापार विदेशी प्रत्यक्ष निवेश पूंजी प्रवास और उद्योगों के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण|
वैश्वीकरण ऐतिहासिक विकास-
वैश्वीकरण की उत्पत्ति को लेकर विद्वानों में काफी मतभेद है अधिकांश विद्वान है, मानते हैं कि वैश्वीकरण बीसवीं शताब्दी की देन है, वहीं कुछ विद्वान यह मानते हैं कि वैश्वीकरण बीसवीं शताब्दी की नहीं बल्कि वह प्राचीन काल से ही विकसित होता चला आ रहा है।
मध्यकाल- चंगेज खान और तैमूर लंग के साम्राज्य ने विश्व के एक बड़े भूभाग को जोड़ा जिससे आधुनिक वैश्वीकरण का अल्प विकसित रूप माना जा सकता है।
1492 में कोलंबस और अमेरिका की खोज के बाद विश्व का रुप ही बदल गया। आगे चलकर 18 वीं सदी में पुर्तगाल के व्यापारियों ने अफ्रीकी महाद्वीप में अपने व्यापार का प्रसार करते हुए फैक्ट्रियों की स्थापना की।
20 वीं सदी का वैश्वीकरण औद्योगिकरण की प्रक्रिया से संबंधित था।
कुछ विद्वानों का यह मानना है कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद वैश्वीकरण का नेतृत्व ब्रिटेन ने किया और दूसरे विश्व युद्ध के बाद उसका नेतृत्व अमेरिका ने किया।
बीसवीं शताब्दी में पश्चिमी संस्कृति के प्रसार का कार्य व्यापक जन संचार, फिल्म, रेडियो, टेलीविजन से संभव हुआ।
विद्वानों का यह भी मत है कि वैश्वीकरण शब्द का प्रचलन बीसवीं शताब्दी के अंतिम 2 दशकों यानी 1980 - 1990 के दशक में जब शीत युद्ध का अंत और सोवियत संघ का विघटन के बाद आम हो गया|
वैश्वीकरण- असहमति और विरोध-
वैश्वीकरण विरोधी सभी आलोचकों का यह मत है कि बीसवीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में विश्व के बड़े शासक अभी जनों ने अपने निजी स्वार्थों हेतु विश्व बाजार का प्रसार करने के लिए पूंजीवादी वैश्वीकरण के नेटवर्क का निर्माण किया।
वैश्वीकरण के आलोचक बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी की अनियंत्रित सत्ता व्यापारिक समझौते तथा कमजोर नियंत्रण वाले ने बाजारों के माध्यम से उस सत्ता का क्रियान्वयन का विरोध करते हैं।
आलोचक आरोप लगाते हैं कि बड़ी कंपनी अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए श्रम, सुरक्षा, की स्थितियों व मानव को श्रमिकों का फायदा उठाती हैं तथा शर्तों का उल्लंघन करती हैं।
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